Thursday, 29 December 2016
Thursday, 7 July 2016
Saturday, 2 July 2016
सफल जीवन के सूत्र
1. *जीवन*
जब तुम पैदा हुए थे तो तुम रोए थे जबकि पूरी दुनिया ने जश्न मनाया था। अपना जीवन ऐसे जियो कि तुम्हारी मौत पर पूरी दुनिया रोए और तुम जश्न मनाओ।
2. *कठिनाइयाँ*
जब तक आप अपनी समस्याओं एवं कठिनाइयों की वजह दूसरों को मानते हैं, तब तक आप अपनी समस्याओं एवं कठिनाइयों को मिटा नहीं सकते ।
3. *असंभव*
इस दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं । हम वो सब कर सकते हैं, जो हम सोच सकते हैं और हम वो सब सोच सकते हैं, जो आज तक हमने नहीं सोचा ।
4. *हार ना मानना*
बीच रास्ते से लौटने का कोई फायदा नहीं क्योंकि लौटने पर आपको उतनी ही दूरी तय करनी पड़ेगी जितनी दूरी तय करने पर आप लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं ।
आगे पढ़ें – *हार जीत* *आत्मविश्वास* *महानता* *गलतियाँ*
sudesh bishnoi
Wednesday, 29 June 2016
जीवन के 6 सत्य:-
1. कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने खूबसूरत हैं ?
क्योंकि लंगूर और गोरिल्ला भी अपनी ओर लोगों का ध्यान आकर्षित कर लेते हैं ।
क्योंकि लंगूर और गोरिल्ला भी अपनी ओर लोगों का ध्यान आकर्षित कर लेते हैं ।
2. कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका शरीर कितना विशाल और मज़बूत है ?
क्योंकि श्मशान तक आप अपने आपको नहीं ले जा सकते ।
क्योंकि श्मशान तक आप अपने आपको नहीं ले जा सकते ।
3. आप कितने भी लम्बे क्यों न हों,
मगर आने वाले कल को आप नहीं देख सकते ।
मगर आने वाले कल को आप नहीं देख सकते ।
4. कोई फर्क नहीं पड़ता कि, आपकी त्वचा कितनी गोरी और चमकदार है ।
क्योंकि अँधेरे में रोशनी की जरूरत पड़ती ही है ।
क्योंकि अँधेरे में रोशनी की जरूरत पड़ती ही है ।
5. कोई फर्क नहीं पड़ता कि ” आप ” नहीं हँसेंगे तो सभ्य कहलायेंगे ?
क्योंकि ” आप ” पर हँसने के लिए दुनिया खड़ी है ।
क्योंकि ” आप ” पर हँसने के लिए दुनिया खड़ी है ।
6. कोई फर्क नहीं पड़ता कि ,आप कितने अमीर हैं ? और दर्जनों गाड़ियाँ आपके पास हैं ?
क्योंकि घर के बाथरूम तक आपको चल के ही जाना पड़ेगा ।
क्योंकि घर के बाथरूम तक आपको चल के ही जाना पड़ेगा ।
इसलिए संभल कर चलिए …ज़िन्दगी का सफर छोटा है , हँसते हँसाते काटिये, आनंद आएगा ।
Saturday, 25 June 2016
तेरी आँखें तेरी ठहरी हुई ग़मगीन-सी आँखें
तेरी आँखें तेरी ठहरी हुई ग़मगीन-सी आँखें
तेरी आँखों से ही तख़लीक़ हुई है सच्ची
तेरी आँखों से ही तख़लीक़ हुई है ये हयात
तेरी आँखों से ही खुलते हैं, सवेरों के उफूक़
तेरी आँखों से बन्द होती है ये सीप की रात
तेरी आँखें हैं या सजदे में है मासूम नमाज़ी
तेरी आँखें...
पलकें खुलती हैं तो, यूँ गूँज के उठती है नज़र
जैसे मन्दिर से जरस की चले नमनाक सदा
और झुकती हैं तो बस जैसे अज़ाँ ख़त्म हुई हो
तेरी आँखें तेरी ठहरी हुई ग़मगीन-सी आँखें...
तेरी आँखों से ही तख़लीक़ हुई है सच्ची
तेरी आँखों से ही तख़लीक़ हुई है ये हयात
तेरी आँखों से ही खुलते हैं, सवेरों के उफूक़
तेरी आँखों से बन्द होती है ये सीप की रात
तेरी आँखें हैं या सजदे में है मासूम नमाज़ी
तेरी आँखें...
पलकें खुलती हैं तो, यूँ गूँज के उठती है नज़र
जैसे मन्दिर से जरस की चले नमनाक सदा
और झुकती हैं तो बस जैसे अज़ाँ ख़त्म हुई हो
तेरी आँखें तेरी ठहरी हुई ग़मगीन-सी आँखें...
मुझको इतने से काम पे रख लो...
मुझको इतने से काम पे रख लो...
जब भी सीने पे झूलता लॉकेट
उल्टा हो जाए तो मैं हाथों से
सीधा करता रहूँ उसको
मुझको इतने से काम पे रख लो...
जब भी आवेज़ा उलझे बालों में
मुस्कुराके बस इतना सा कह दो
आह चुभता है ये अलग कर दो
मुझको इतने से काम पे रख लो....
जब ग़रारे में पाँव फँस जाए
या दुपट्टा किवाड़ में अटके
एक नज़र देख लो तो काफ़ी है
मुझको इतने से काम पे रख लो...
जब भी सीने पे झूलता लॉकेट
उल्टा हो जाए तो मैं हाथों से
सीधा करता रहूँ उसको
मुझको इतने से काम पे रख लो...
जब भी आवेज़ा उलझे बालों में
मुस्कुराके बस इतना सा कह दो
आह चुभता है ये अलग कर दो
मुझको इतने से काम पे रख लो....
जब ग़रारे में पाँव फँस जाए
या दुपट्टा किवाड़ में अटके
एक नज़र देख लो तो काफ़ी है
मुझको इतने से काम पे रख लो...
मुझको इतने से काम पे रख लो...
मुझको इतने से काम पे रख लो...
जब भी सीने पे झूलता लॉकेट
उल्टा हो जाए तो मैं हाथों से
सीधा करता रहूँ उसको
मुझको इतने से काम पे रख लो...
जब भी आवेज़ा उलझे बालों में
मुस्कुराके बस इतना सा कह दो
आह चुभता है ये अलग कर दो
मुझको इतने से काम पे रख लो....
जब ग़रारे में पाँव फँस जाए
या दुपट्टा किवाड़ में अटके
एक नज़र देख लो तो काफ़ी है
मुझको इतने से काम पे रख लो...
जब भी सीने पे झूलता लॉकेट
उल्टा हो जाए तो मैं हाथों से
सीधा करता रहूँ उसको
मुझको इतने से काम पे रख लो...
जब भी आवेज़ा उलझे बालों में
मुस्कुराके बस इतना सा कह दो
आह चुभता है ये अलग कर दो
मुझको इतने से काम पे रख लो....
जब ग़रारे में पाँव फँस जाए
या दुपट्टा किवाड़ में अटके
एक नज़र देख लो तो काफ़ी है
मुझको इतने से काम पे रख लो...
Wednesday, 22 June 2016
घर
सपनों में होता है घर
या फिर
घर ही होता है
खुद एक सपना।
शुक्र है खुदा का
कि सपनों में
महज आकाँक्षा होती है
अवरोध नही,
तभी तो
बना लेता हूँ मैं
सपनों में
अतल
अटल
विराट महल।
गर सपने न होते
मैं जरूर बेघर होता।
या फिर
घर ही होता है
खुद एक सपना।
शुक्र है खुदा का
कि सपनों में
महज आकाँक्षा होती है
अवरोध नही,
तभी तो
बना लेता हूँ मैं
सपनों में
अतल
अटल
विराट महल।
गर सपने न होते
मैं जरूर बेघर होता।
इन ढलानों पर वसंत आएगा
इन ढलानों पर वसंत आएगा
हमारी स्मृति में
ठंड से मरी हुई इच्छाओं को
फिर से जीवित करता
धीमे-धीमे धुँधुवाता खाली कोटरों में
घाटी की घास फैलती रहेगी रात को
ढलानों से मुसाफ़िर की तरह
गुज़रता रहेगा अँधकार
चारों ओर पत्थरों में दबा हुआ मुख
फिर से उभरेगा झाँकेगा कभी
किसी दरार से अचानक
पिघल जाएगा जैसे बीते साल की बर्फ़
शिखरों से टूटते आएँगे फूल
अंतहीन आलिंगनों के बीच एक आवाज़
छटपटाती रहेगी
चिड़िया की तरह लहूलुहान
हमारी स्मृति में
ठंड से मरी हुई इच्छाओं को
फिर से जीवित करता
धीमे-धीमे धुँधुवाता खाली कोटरों में
घाटी की घास फैलती रहेगी रात को
ढलानों से मुसाफ़िर की तरह
गुज़रता रहेगा अँधकार
चारों ओर पत्थरों में दबा हुआ मुख
फिर से उभरेगा झाँकेगा कभी
किसी दरार से अचानक
पिघल जाएगा जैसे बीते साल की बर्फ़
शिखरों से टूटते आएँगे फूल
अंतहीन आलिंगनों के बीच एक आवाज़
छटपटाती रहेगी
चिड़िया की तरह लहूलुहान
“कोई भी मुझे मेरी आज्ञा के बिना दुखी नही कर सकता.”
“केवल थोड़े से कुकर्म, बहुत से गुणों को दूषित करने में समर्थ होते हैं.”
“जो मनुष्य अपने क्रोध को अपने ही ऊपर झेल लेता है, वह दूसरों के क्रोध से बच जाता है.”
“कुसमय में साहस भी साथ छोड़ देता है”
“कुछ पुस्तकें चलने मात्र की होती हैं, दूसरी निगाह डालने योग्य और कुछ ऐसी होती हैं, जिन्हें चबाया और पचाया जा सके.”
“बुरी पुस्तकों का पढ़ना जहर पीने के समान है.”
“प्रतिभा अपनी राह स्वयं निर्धारित कर लेती है और अपना दीप स्वयं ले चलती है.”
“प्रतिभावान व्यक्ति यदि नष्ट होता है, तो बहुधा अपने ही व्दारा नष्ट होता है.”
“मानव के अंदर जो कुछ सर्वोत्तम है, उसका विकास प्रशंसा तथा प्रोत्साहन के व्दारा किया जा सकता है.”
“यदि तुम चाहते हो कि दुसरे तुम्हारी प्रशंसा करें, तो पहले तुम दूसरों की प्रशंसा करना सीखो.”
“प्रशंसा वह हथियार है, जिससे शत्रु भी मित्र बनाया जा सकता है.”
“कड़ी महेनत करे और सब्र करे. आपको आपका फल जरूर मिलेगा.”
“एक बार यदि आपने कोई दावा कर दिया तो आपको उसे निभाने के लिए कड़ी महेनत और अनुशासन की जरुरत होती है.”
“चरित्र को कभी आसानी से और शांति से विकसित नही किया जा सकता. बल्कि मुश्किलों का अनुभव और मुसीबतों को सहकर, साफ़ दृष्टी रखकर, उच्च विचार रखकर और सफलता प्राप्त करके ही इसे हासिल किया जा सकता है.”
“यदि आप कोशिश करते हो और कुछ भी हासिल नहीं होता तो उसमे आपकी कोई गलती नही है. लेकिन यदि आप जरा भी कोशिश नही करते और हार जाते है तो उसमे पूरी आप ही की गलती है.”
“सिर्फ और सिर्फ आपकी कड़ी मेहनत ही आपको अच्छी किस्मत दे सकती है.”
“जब मै सफल लोगो से मिला तो उन्हें प्रश्न किये की वे अपनी सफलता में किसे शामिल करना चाहते है ? जवाब था – कठिन महेनत और अच्छे लोग.”
“साधारण और असाधारण में अंतर सिर्फ थोड़े सी ज्यादा मेहनत का है.”
“व्यायामशाला में आपके द्वारा किये गये अंतिम 3-4 प्रयासों पर ही आपके मासपेशीयो की ताकत निर्भर करती है. उस समय होने वाली तकलीफ ही आपको भविष्य में विजेता बना सकती है. लेकिन बहोत से लोगो को दर्द सहने की आदत नही होती और इसी वजह से वे पीछे रह जाते है.”
“कोई भी मुझे मेरी आज्ञा के बिना दुखी नही कर सकता.”
“जब तक आपका सामना आपकी सबसे बड़ी कमजोरी से नही हो जाता तब तक आपको अपनी सबसे बड़ी ताकत के बारे में पता नही चलता.”
“जब मै किसी को ये कहते हुए सुनता हु की, ‘जीवन बहोत कठिन है’, मै हमेशा ये पूछने के उत्सुक रहता हु की, ‘जीवन की तुलना किससे की?”
“मैंने अपने जीवन में उस इंसान से कभी कुछ नहीं सिखा जो मुझसे सहमत था”
“एक तो आप दिन रहते दौडिए, नहीं तो दिन आपको दौड़ायेगा”
“अगर हम नही, तो कौन? अगर अभी नहीं, तो कब?”
“श्रध्दा – हमें ज्ञान देती हैं, नम्रता – हमें मान-सन्मान देतीं हैं, और योग्यता – हमें स्थान देती हैं, और जब तीनो मिल जाये तो हमें अमर बना देती है.”..
Friday, 10 June 2016
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स्कूल के दिन
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