Thursday, 29 June 2017

computer basic

Bit: बाइनरी अंक (0-1) को संयुक्त रूप से बिट कहा जाता है, यह कम्प्यूटर की सबसे छोटी इकाई है। 
Bite: 8 बिटों को सम्मिलित रूप से बाइट कहा जाता है। एक किलोबाइट में 1024 बाइट होती हैं।
Biochop: जैव प्रौद्योगिकी पर आधारित व सिलिकॉन से बनी इस चिप से ही कम्प्यूटर का विकास हो पाया है।
Backbone:
कम्प्यूटर नेटवर्क में अन्य कम्प्यूटरों को आपस में जोडऩे वाली मुख्य लाइन।
Background Processing:
निम्न प्राथमिकता वाले प्रोग्राम को उच्च प्राथमिकता वाले प्रोग्राम में बदलने की क्रिया।
Back Up:
सामान्यत: Back Up कोई भी प्रोग्राम हो सकता है, जिसके द्वारा कम्प्यूटर को खराब होने से बचाया जा सकता है।
Bad Sector:
स्टोरेज डिवाइस में वह स्थान जहां पर डाटा लिखा या पढ़ा नहीं जा सकता।
Band Width:
डाटा संचरण में प्रयोग की जाने वाली आवृत्ति की उच्चतम और निम्नतम सीमा का अन्तर Band Width कहलाता है।
Base:
संख्या पद्वति में अंकों को व्यक्त करने वाले चिन्हों को कहा जाता है।
Batch File: Dos
ऑपरेटिंग सिस्टम में प्रोग्राम की वह फाइल जो स्वंय संपादित होती है।
Band:
वह इकाई जो डाटा संचारण की गति को मापता है।
1 Band= 1 Bite/sec
Blinking:
किसी बिंदु पर कर्सर की स्थिति को Blinking कहते हैं।
Biometric Device:
वह डिवाइस जो दो व्यक्तियों के भौतिक गुणों में अंतर कर सकने में सक्षम हो।
Bernoulli Disk:
वह चुम्बकीय डिस्क जो रीड व राइट दोनों में ही सक्षम है, डाटा भण्डारण के लिए प्रयोग की जाती है।
Broad Band:
कम्प्यूटर नेटवर्क जिसके संचरण की गति 1 मिलियन बिट्स प्रति सेकेण्ड या इससे अधिक होती है।
Browse:
जब इंटरनेट पर किसी वेबसाइट को खोजा जाता है तो उस प्रक्रिया को क्चह्म्श2ह्यद्ग कहते हैं।
Browser:
वह साफ्टवेयर जिसके माध्यम से हम इंटरनेट पर अपनी पसंद की वेबसाइट को खोज कर सूचना प्राप्त करते हैं।
Bridge Ware:
यह सॉफ्टवेयर हैं जिसके द्वारा कम्प्यूटरों के मध्य सामंजस्य स्थापित किया जाता है।
Bubble Memory:
जिसमें डाटा को स्टोर करने के लिए चुम्बकीय माध्यमों का प्रयोग किया जाता है।
Buffer:
एक प्रकार की डाटा स्टोरेज डिवाइस है, जो कम्प्यूटर के विभिन्न प्रकार के उपकरणों के बीच डाटा- स्थानन्तरण की गति को एक समान बनाता है।
Burning:
वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा क्रह्ररू में डाटा लिखा जाता है।
Bus:
एक प्रकार का मार्ग है जो डाटा या इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले कर जाता है।
Blue Tooth:
एक लघु रेडियो ट्रांसमीटर होता है जिसके द्वारा सूचनाओं का आदान- प्रदान किया जाता है।
Boot:
ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा किया जाने वाला सबसे प्रारम्भिक कार्य क्चशशह्ल कहलाता है।
Bug:
यह एक प्रकार का श्वह्म्ह्म्शह्म् होता है, जो कम्प्यूटर में उपस्थित प्रोग्रामों में पाया जाता है। क्चह्वद्द को हटाने की प्रक्रिया को ष्ठद्गड्ढह्वद्द कहा जाता है। 

Chip : Chip
सामान्यत: सिलिकॉन अथवा अन्य अद्र्घचालकों से बना छोटा टुकड़ा होता है, जिस पर विभिन्न प्रकार के कार्यों को पूरा करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक सर्किट बने होते हैं।
Computer Program : किसी कार्य को विधिवत तरीके से पूर्ण करने के लिए कई प्रकार के प्रोग्राम बनाये जाते हैं, जिन्हें Computer Program कहा जाता हैं। सामान्यत:
Computer Program विभिन्न प्रकार की सूचनाओं का समूह होता है।
Cyber Space : Cyber Space द्वारा कम्प्यूटर नेटवर्क में उपस्थित सूचनाओं का आदान-प्रदान पूरे विश्व में किया जाता है।
CD-R/W :
इसे विस्तृत रूप से Compact Disk - Read/Write कहा जाता है। यह एक Storage Device है। जिसमें डाटा को बार-बार लिखा तथा पढ़ा जा सकता है।
CD-R :
इसे विस्तृत रूप से Compact Disk - Recordable कहा जाता है। इस Storage Device में डाटा केवल पढ़ा जा सकता हैं। लेकिन Store डाटा में कोई भी परिवर्तन नहीं
किया जा सकता है।

Wednesday, 8 February 2017

भूत प्रेतों का डेरा

विलेज कुलधरा” – एक श्राप के कारण 200 सालों से हैं वीरान रात को रहता है भूत प्रेतों का डेरा
हमारे देश भारत के कई शहर अपने दामन में कई रहस्यमयी घटनाओ को समेटे हुए है ऐसी ही एक घटना हैं राजस्थान के जैसलमेर जिले के कुलधरा(Kuldhara) गाँव कि, यह गांव पिछले 170 सालों से वीरान पड़ा हैं। कुलधरा(Kuldhara) गाँव के हज़ारों लोग एक ही रात मे इस गांव को खाली कर के चले गए थे  और जाते जाते श्राप दे गए थे कि यहाँ फिर कभी कोई नहीं बस पायेगा। तब से गाँव वीरान पड़ा हैं।

कहा जाता है कि यह गांव रूहानी ताकतों के कब्जे में हैं, कभी एक हंसता खेलता यह गांव आज एक खंडहर में तब्दील हो चुका हैटूरिस्ट प्लेस में बदल चुके कुलधरा गांव घूमने आने वालों के मुताबिक यहां रहने वाले पालीवाल ब्राह्मणों की आहट आज भी सुनाई देती है। उन्हें वहां हरपल ऐसा अनुभव होता है कि कोई आसपास चल रहा है। बाजार के चहल-पहल की आवाजें आती हैं, महिलाओं के बात करने उनकी चूडिय़ों और पायलों की आवाज हमेशा ही वहां के माहौल को भयावह बनाते हैं। प्रशासन ने इस गांव की सरहद पर एक फाटक बनवा दिया है जिसके पार दिन में तो सैलानी घूमने आते रहते हैं लेकिन रात में इस फाटक को पार करने की कोई हिम्मत नहीं करता हैं।

वैज्ञानिक तरीके से हुआ था गाँव का निर्माण 
कुलधरा(Kuldhara) जैसलमेर से लगभग अठारह किलोमीटर की दूरी पर स्थिति है । पालीवाल समुदाय के इस इलाक़े में चौरासी गांव थे और यह उनमें से एक था । मेहनती और रईस पालीवाल की कुलधार शाखा ने सन 1291 में तकरीबन छह सौ घरों वाले इस गांव को बसाया था। कुलधरा गाँव पूर्ण रूप से वैज्ञानिक तौर पर बना था। ईट पत्थर से बने इस गांव की बनावट ऐसी थी कि यहां कभी गर्मी का अहसास नहीं होता था। कहते हैं कि इस कोण में घर बनाए गये थे कि हवाएं सीधे घर के भीतर होकर गुज़रती थीं । कुलधरा के ये घर रेगिस्ताकन में भी वातानुकूलन का अहसास देते थे । इस जगह गर्मियों में तापमान 45 डिग्री रहता हैं पर आप यदि अब भी भरी गर्मी में इन वीरान पडे मकानो में जायेंगे तो आपको शीतलता का अनुभव होगा। गांव के तमाम घर झरोखों के ज़रिए आपस में जुड़े थे इसलिए एक सिरे वाले घर से दूसरे सिरे तक अपनी बात आसानी से पहुंचाई जा सकती थी । घरों के भीतर पानी के कुंड, ताक और सीढि़यां कमाल के हैं ।

पालीवाल ब्राम्हण होते हुए भी बहुत ही उद्यमी समुदाय था । अपनी बुद्धिमत्ताl, अपने कौशल और अटूट परिश्रम के रहते पालीवालों ने धरती पर सोना उगाया था । हैरत की बात ये है कि पाली से कुलधरा आने के बाद पालीवालों ने रेगिस्तापनी सरज़मीं के बीचोंबीच इस गांव को बसाते हुए खेती पर केंद्रित समाज की परिकल्पलना की थी । रेगिस्ता़न में खेती । पालीवालों के समृद्धि का रहस्य था । जिप्सरम की परत वाली ज़मीन को पहचानना और वहां पर बस जाना । पालीवाल अपनी वैज्ञानिक सोच, प्रयोगों और आधुनिकता की वजह से उस समय में भी इतनी तरक्की कर पाए थे ।
पालीवाल समुदाय आमतौर पर खेती और मवेशी पालने पर निर्भर रहता था । और बड़ी शान से जीता था । जिप्सआम की परत बारिश के पानी को ज़मीन में अवशोषित होने से रोकती और इसी पानी से पालीवाल खेती करते । और ऐसी वैसी नहीं बल्कि जबर्दस्तं फसल पैदा करते । पालीवालों के जल-प्रबंधन की इसी तकनीक ने थार रेगिस्तारन को इंसानों और मवेशियों की आबादी या तादाद के हिसाब से दुनिया का सबसे सघन रेगिस्ताकन बनाया । पालीवालों ने ऐसी तकनीक विकसित की थी कि बारिश का पानी रेत में गुम नहीं होता था बल्कि एक खास गहराई पर जमा हो जाता था ।

कुलधरा के वीरान होने कि कहानी (Story of Kuldhara)
जो गाँव इतना विकसित था तो फिर क्या वजह रही कि वो गाँव रातों रात वीरान हो गया। इसकी वजह था गाँव   का अय्याश दीवान सालम सिंह जिसकी गन्दी नज़र गाँव कि एक खूबसूरत लड़की पर पड़ गयी थी। दीवान उस लड़की के पीछे इस कदर पागल था कि बस किसी तरह से उसे पा लेना चाहता था। उसने इसके लिए ब्राह्मणों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। हद तो तब हो गई कि जब सत्ता के मद में चूर उस दीवान ने लड़की के घर संदेश भिजवाया कि यदि अगले पूर्णमासी तक उसे लड़की नहीं मिली तो वह गांव पर हमला करके लड़की को उठा ले जाएगा। गांववालों के लिए यह मुश्किल की घड़ी थी। उन्हें या तो गांव बचाना था या फिर अपनी बेटी। इस विषय पर निर्णय लेने के लिए सभी 84 गांव वाले एक मंदिर पर इकट्ठा हो गए और पंचायतों ने फैसला किया कि कुछ भी हो जाए अपनी लड़की उस दीवान को नहीं देंगे।
फिर क्या था, गांव वालों ने गांव खाली करने का निर्णय कर लिया और रातोंरात सभी 84 गांव आंखों से ओझल हो गए। जाते-जाते उन्होंने श्राप दिया कि आज के बाद इन घरों में कोई नहीं बस पाएगा। आज भी वहां की हालत वैसी ही है जैसी उस रात थी जब लोग इसे छोड़ कर गए थे।

आज भी है श्राप का असर:
पालीवाल ब्राह्मणों के श्राप का असर यहां आज भी देखा जा सकता है। जैसलमेर के स्थानीय निवासियों की मानें तो कुछ परिवारों ने इस जगह पर बसने की कोशिश की थी, लेकिन वह सफल नहीं हो सके। स्थानिय लोगों का तो यहां तक कहना है कि कुछ परिवार ऐसे भी हैं, जो वहां गए जरूर लेकिन लौटकर नहीं आए। उनका क्या हुआ, वे कहां गए कोई नहीं जानता।
यहां के धरती में दबा है सोना इसलिए आते हैं पर्यटक: 
पर्यटक यहां इस चाह में आते हैं कि उन्हें यहां दबा हुआ सोना मिल जाए। इतिहासकारों के मुताबिक पालीवाल ब्राह्मणों ने अपनी संपत्ति जिसमें भारी मात्रा में सोना-चांदी और हीरे-जवाहरात थे, उसे जमीन के अंदर दबा रखा था। यही वजह है कि जो कोई भी यहां आता है वह जगह-जगह खुदाई करने लग जाता है। इस उम्मीद से कि शायद वह सोना उनके हाथ लग जाए। यह गांव आज भी जगह-जगह से खुदा हुआ मिलता है।
पेरानार्मल सोसायटी की टीम ने कि कुलधरा में पड़ताल :-
मई 2013 मे दिल्ली से आई भूत प्रेत व आत्माओं पर रिसर्च करने वाली पेरानार्मल सोसायटी की टीम ने कुलधरा(Kuldhara) गांव में बिताई रात। टीम ने माना कि यहां कुछ न कुछ असामान्य जरूर है। टीम के एक सदस्य ने बताया कि विजिट के दौरान रात में कई बार मैंने महसूस किया कि किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा, जब मुड़कर देखा तो वहां कोई नहीं था। पेरानॉर्मल सोसायटी के उपाध्यक्ष अंशुल शर्मा ने बताया था कि हमारे पास एक डिवाइस है जिसका नाम गोस्ट बॉक्स है। इसके माध्यम से हम ऐसी जगहों पर रहने वाली आत्माओं से सवाल पूछते हैं। कुलधरा में भी ऐसा ही किया जहां कुछ आवाजें आई तो कहीं असामान्य रूप से आत्माओं ने अपने नाम भी बताए। शनिवार चार मई की रात्रि में जो टीम कुलधरा गई थी उनकी गाडिय़ों पर बच्चों के हाथ के निशान मिले। टीम के सदस्य जब कुलधरा गांव में घूमकर वापस लौटे तो उनकी गाडिय़ों के कांच पर बच्चों के पंजे के निशान दिखाई दिए। (जैसा कि कुलधरा(Kuldhara) गई टीम के सदस्यों ने मीडिया को बताया )


स्कूल के दिन

ऐ मेरे स्कूल मुझे, जरा फिर से तो बुलाना.. कमीज के बटन ऊपर नीचे लगाना, वो अपने बाल खुद न काढ़ पाना, पी टी शूज को चाक से चमकाना, वो ...